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जीवनसाथी तो नहीं पर हमसफर के रूप में साथ देते हैं !!

Indian Cinema
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आप रो रहे हो और आपको अचानक हंसने पर मजबूर कर दे या फिर आप तन्हां महसूस कर रहे हो और आपके सफर में आपका साथ दे दे. हां यदि कोई इस रूप में आपका साथ निभा रहा है तो वो आपका सच्चा हमसफर है. यहां हम आपका सच्चा हमसफर हिन्दी सिनेमा को बता रहे हैं जिसने आपको कुछ ऐसे बेहतरीन पल दिए हैं जिन्हें भुला पाना नामुमकिन है.


सलमान खान का दंबग होना, शाहरुख की बाहों को खोलकर खड़े होने से हजारों लड़कियों का उनका कायल बन जाना, फिल्म डीडीएलजे में राज (शाहरुख) का दौड़ती हुई ट्रेन में सिमरन (काजोल) को अपना हाथ देना, इतना भर देखने के बाद ही लड़कियां अपनी असल जिंदगी की प्रेम कहानी को बड़े पर्दे पर चल रही प्रेम कहानी से जोड़ने लगती है.


यह तो रही प्रेम कहानी की बात पर बड़े पर्दे का जादू सिर्फ इतना ही नहीं है. यहां पर बहुत बार ऐसे सामजिक मुद्दों को कहानी के रूप में दिखाया जाता है जिसे देखने के बाद दर्शक अपनी असल जिंदगी में भी उन मुद्दों पर समाज में अपनी आवाज को बुलंद करना सीख जाते हैं.


हो सकता है कि आपके लिए हमारी बात पर विश्वास कर पाना थोड़ा मुश्किल हो पर जरा इन उदाहरण को पढ़िए जिसके बाद हो सकता है कि आपको हमारी बात पर यकीन आ जाए. जब साल 1940 में फिल्म ‘मदर इंडिया’ बॉक्स ऑफिस पर रिलीज हुई थी तब अधिकांश दर्शक उस फिल्म की कहानी में अपने जीवन की संघर्ष की कहानी को खोज रहे थे.


फिल्म के एक सीन में राधा नाम की महिला नवविवाहिता के रूप में गाँव आती है और घर-गृहस्थी की जिम्मेदारियाँ उठाने में पति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलती है पर एक दिन अचानक उसके पति की मृत्यु हो जाती है. इस सीन को देखने के बाद उस समय सिनेमाघरों में बैठे दर्शकों की आंखें भर गई थीं पर आज भी जब इन सीन को या इन फिल्मों को देखा जाता है तो भी आंखें भर जाती हैं. ‘मदर इंडिया’ फिल्म का गाना ‘दुनिया में हम आए हैं तो जीना ही पड़ेगा’ आज भी लोगों में कठिन परिश्रम करने की भावना को जगाता है. ‘मदर इंडिया’ ही नहीं फिल्म ‘जंजीर’, ‘प्यासा’, ‘मुगल-ए-आजम’ हिन्दी सिनेमा की तमाम ऐसी फिल्में है जिन्हें देखने के बाद दर्शक उनसे जुड़ा हुआ महसूस करते है.


ऐसा नहीं है कि हिन्दी सिनेमा में सालों पहले ही ऐसी फिल्में बनती थी जिनसे दर्शक अपनी निजी जिंदगी की कहानी को भी जोड़ पाते थें. कम ही सही पर आज भी हिन्दी सिनेमा में ऐसी फिल्मों का वजूद कायम है जो दर्शकों के दिल को हमेशा साथ होना का एक स्पर्श देती हैं. ‘गंगाजल’, ‘राजनीति’, ‘अपहरण’, ‘माई नेम इज खान’, और मद्रास कैफे बॉलीवुड की वो फिल्में है जो सच्चाई का आइना दिखाती हैं. हमारे दिए गए तमाम उदाहरण के बाद आपको भारतीय सिनेमा सिर्फ सिनेमा ही नहीं बल्कि आपके साथ चलते हुए उस हमसफर के रूप में नजर आएगा जो आपका आपके हर जिंदगी के मोड़ पर साथ देता है.


Web Title: indian movie interesting facts

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