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आप जितना चाहे उतना रो सकते हैं और यदि तन्हां रहना चाहते हैं तो वो भी रह सकते हैं पर जब आप पर्दे के सामने होंगे तो आपको अपने तमाम गम छुपाने होंगे और जैसी फिल्म की कहानी की मांग है उसी अनुसार अपने आपको ढाल लेना होगा. कठिन है ना, पर आपके उन स्टार्स के लिए नहीं जिनकी जिंदगी आपको चमक-दमक से परिपूर्ण लगती है.
प्रेमी छोड़ जाए, शादी टूट जाए या फिर किसी करीबी की मौत हो जाए आपको हर कीमत पर मुस्कुराते रहना होगा और जब अपनी जिंदगी को दो किरदारों में बाट कर जी नहीं पाएंगे तब मौत को गले लगा लेंगे.
यह वाक्य हिन्दी सिनेमा के उन कलाकारों के लिए लिखा गया है जो किसी भी कीमत पर अपनी निजी जिंदगी को अपने अभिनय पर हावी होने नहीं देते हैं. अभी हाल की बात है जब प्रियंका चोपड़ा के पिता की मौत हुई थी तब वो पूरी तरह टूट चुकी थीं पर कुछ दिनों के बाद ही प्रियंका अपनी फिल्मी दुनिया में वापस लौट गईं. शाहिद कपूर और करीना कपूर का लव अफेयर काफी लंबे समय तक चला था पर जब करीना ने शाहिद को छोड़ सैफ का हाथ थाम लिया तो शाहिद भी इस सच को स्वीकार करते हुए अपनी फिल्म की शूटिंग में व्यस्त हो गए.
आज के बॉलीवुड के स्टार्स ही नहीं सालों पहले हिन्दी सिनेमा के कलाकार भी अपनी निजी जिंदगी के गमों को कुछ कदर ही छुपाया करते थे. अमिताभ और रेखा ने अपनी टूटी हुई प्रेम कहानी का दर्द कभी भी पर्दे पर बयां नहीं किया. राजेश खन्ना ने अपनी जिंदगी में दुखों के चलते हुए शराब को अपना दोस्त बना लिया पर अपने अभिनय की कला को इस दुख से दूर ही रखा. परवीन बॉबी, मधुबाला, गुरुदत जैसे ना जाने कितने ऐसे कलाकार हैं जो अपनी निजी जिंदगी में दुखों का सामना करते रहे पर पर्दे पर फिल्म की कहानी के अनुसार ही किरदार को निभाया.
जब व्यक्ति अपनी जिंदगी को दो किरदारों में निभाता है तो ऐसे में जाहिर सी बात है कि वो कई समस्याओं का सामना भी करता होगा और जब मन के भीतर उसका दम घुटना शुरू हो जाता है तो वो मौत का रास्ता चुन लेता है. हाल ही में इस रास्ते को बॉलीवुड की अभिनेत्री जिया खान ने चुना था.
वास्तव में हैरतंगेज है पर्दे की दुनिया जिसमें आप वैसे ही दिखते हो जैसी फिल्म की कहानी की मांग होती है. आप ना रो सकते हैं और ना अपनी मर्जी से हंस सकते हैं. आपको सिर्फ वैसा ही करना है जैसे एक मदारी अपने बंदर को करने के लिए कहता है.
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