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क्यों औरतों को बोल्ड अंदाज में दिखाया ?

Indian Cinema
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एक बार नहीं हजार बार लोग इनसे एक ही सवाल पूछते हैं कि आखिरकार क्यों इन्होंने औरतों को बोल्ड अंदाज में दिखाया और इनका एक ही जवाब होता है कि इन्होंने कभी भी महिलाओं की भावनाओं को आघात पहुंचाने की कोशिश नहीं की। बस यह तो पर्दे पर नए शब्द और नए परिवर्तन को स्थापित करना चाहते थे.


समय के साथ फिल्मों में परिवर्तन की परिभाषा समझना और नए नजरिए को फिल्म निर्देशन में स्थापित करने की कोशिश करते रहने का काम मशहूर हिन्दी फिल्म निर्देशक-निर्माता महेश भट्ट ही कर सकते हैं.

इनकी फिल्मों में भावना नहीं, वासना झलकती है


mahesh bhatt in indian cinemaयदि हिन्दी सिनेमा के मशहूर समीक्षकों की बात पर यकीन किया जाए तो आज तक महेश भट्ट ने हिन्दी सिनेमा को कुछ खास नहीं दिया है, ना ही एक निर्माता के रूप में और ना ही एक फिल्म निर्देशक के रूप में. महेश भट्ट ने एक लेखक के रूप में फिल्म जिस्म-2 की कहानी भी लिखी जिसे दर्शकों ने बॉक्स ऑफिस पर तो सुपरहिट कराया पर वास्तव में फिल्म की कहानी को नकारात्मक रूप में ही देखा.


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क्या वास्तव में महेश भट्ट ने हिन्दी सिनेमा को कुछ नहीं दिया. इस बात का जवाब देने से पहले महेश भट्ट की बोली गई वो बातें याद आ जाती हैं जिसे लेकर मीडिया ने चटपटी खबरों के बाजार को गर्म कर दिया था. महेश भट्ट ने कहा था कि ‘किसी एक ही शख्स के साथ यौन संबंध बनाने चाहिए आज तक हम इस अवधारणा को मानते आए हैं लेकिन अब वक्त बदल रहा है. लोगों ने जैसे समलैंगिकता को स्वीकार कर लिया है, वैसे ही मल्टी पार्टनर की अवधारणा को भी अब स्वीकार्यता मिल रही है. बड़े शहरों में ही नहीं बल्कि अब तो छोटे-छोटे शहरों में भी लोग एक ही पार्टनर के साथ सेक्स संबंध स्थापित करते-करते बोर हो गए हैं इसीलिए वह भी अब एक से ज्यादा लोगों को अपना सेक्स पार्टनर बनाने लगे हैं’.

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महेश भट्ट के कहने भर की देरी थी कि इस बात को सुनने के बाद बड़ी मात्रा में लोगों ने इनका विरोध करना शुरू कर दिया और यहां तक कहा कि ऐसे निर्देशक यदि हिन्दी सिनेमा में होंगे तो बेहतर फिल्मों के वजूद को बचा पाना कठिन हो जाएगा.


हां, हो सकता है कि महेश भट्ट ने बहुत बार गलत फिल्मों का चुनाव किया हो और अपनी फिल्म के प्रमोशन के लिए एक पोर्न स्टार का इस्तेमाल किया हो पर साथ ही इस बात को भी भुलाया नहीं जा सकता है कि महेश भट्ट हमेशा समाज में प्रचलित नियम और कानूनों को चुनौती देने का काम करते हैं और उनकी अधिकांश फिल्मों में महिलाओं की मर्यादा के साथ खिलवाड़ नहीं किया गया है. महेश भट्ट समाज की कड़वी सच्चाइयों को उजागर करने के लिए लगातार प्रयास करते रहते हैं लेकिन दर्शक उन परेशानियों को नहीं सिर्फ सेक्स को ही देखते हैं. महेश भट्ट की मानें तो जमाना बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है लेकिन हम पुरानी मानसिकता के बोझ को आज तक ढो रहे हैं.


महेश भट्ट का जन्म 20 सितंबर, 1948 को हुआ था. उन्होंने हिन्दी सिनेमा के फिल्म निर्देशन में कदम 26 वर्ष की आयु में रखा और आज 2013 चल रहा है. इस बात को कहने में जरा भी संकोच नहीं होगा कि महेश भट्ट ने हिन्दी सिनेमा को नए अंदाज से फिल्मों का निर्देशन करना सिखाया है.

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